Civil servants should discharge their duties in counting of votes

मतगणना में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें सिविल सेवक : खड़गे

Civil servants should discharge their duties in counting of votes

Civil servants should discharge their duties in counting of votes

Civil servants should discharge their duties in counting of votes- नई दिल्ली। मतगणना से एक दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभी सिविल सेवकों और अधिकारियों से एक अपील की है। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिकारियों से आग्रह करती है कि वे संविधान का पालन करें, किसी से न डरें और मतगणना दिवस पर योग्यता के आधार पर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। हम भावी पीढ़ियों के लिए आधुनिक भारत के निर्माताओं द्वारा रचित जीवंत लोकतंत्र और दीर्घकालिक संविधान के ऋणी हैं। 

खड़गे ने अधिकारियों के नाम लिखे अपने पत्र में कहा कि अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करें और बिना किसी भय, पक्षपात या द्वेष के राष्ट्र की सेवा करें। किसी से डरें नहीं। किसी असंवैधानिक तरीके के आगे न झुकें।

अपने खुले पत्र में उन्होंने लिखा कि मैं आपको विपक्ष के नेता (राज्यसभा) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष की हैसियत से लिख रहा हूँ। 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हो चुके हैं, 4 जून, 2024 को मतगणना होगी। मैं भारत के चुनाव आयोग, केंद्रीय सशस्त्र बलों, विभिन्न राज्यों की पुलिस, सिविल सेवकों, जिला कलेक्टरों, स्वयंसेवकों और आप में से हर एक को बधाई देना चाहता हूंं, जो इस विशाल और ऐतिहासिक कार्य के क्रियान्वयन में शामिल थे।

खड़गे ने कहा, हमारे प्रेरणास्रोत और भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सिविल सेवकों को “भारत का स्टील फ्रेम” कहा था। भारत के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ही है जिसने भारत के संविधान के आधार पर कई संस्थाओं की स्थापना की, उनकी ठोस नींव रखी और उनकी स्वतंत्रता के लिए तंत्र तैयार किए। संस्थाओं की स्वतंत्रता सर्वोपरि है, क्योंकि प्रत्येक सिविल सेवक संविधान की शपथ लेता है कि वह “अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक और कर्तव्यनिष्ठा से निर्वहन करेगा तथा संविधान और कानून के अनुसार सभी प्रकार के लोगों के साथ बिना किसी भय या पक्षपात, स्नेह या द्वेष के सही व्यवहार करेगा”।

इस भावना से हम प्रत्येक ब्यूरोक्रेट और अधिकारी से संविधान की भावना के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की अपेक्षा करते हैं, जो बिना किसी दबाव व धमकी के हो। उन्होंने कहा कि इस तथ्य को रेखांकित करना महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस पार्टी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ. बी.आर. अंबेडकर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना आजाद, सरोजिनी नायडू और हमारे अनगिनत प्रेरणादायी संस्थापक सदस्यों द्वारा तैयार संविधान के माध्यम से न केवल मजबूत शासन का ढांचा तैयार किया, बल्कि ब्यूरोक्रेसी और नागरिक समाज में हाशिए पर पड़े लोगों को हमारे स्वायत्त संस्थानों में प्रतिनिधित्व देकर सकारात्मक कार्रवाई भी सुनिश्चित की।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पिछले दशक में सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा हमारे स्वायत्त संस्थानों पर हमला करने, उन्हें कमजोर करने और दबाने का एक व्यवस्थित पैटर्न देखा गया है। परिणामस्वरूप भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंच रहा है। भारत को एक तानाशाही शासन में बदलने की व्यापक प्रवृत्ति है। हम तेजी से देख रहे हैं कि कुछ संस्थाएं अपनी स्वतंत्रता को त्याग रही हैं और बेशर्मी से सत्ताधारी पार्टी के हुक्मों का पालन कर रही हैं। कुछ ने पूरी तरह से उनकी संवाद शैली, उनके कामकाज के तरीके और कुछ मामलों में तो उनकी राजनीतिक बयानबाजी को भी अपना लिया है। यह उनकी गलती नहीं है। तानाशाही शक्ति, धमकी, बलपूर्वक तंत्र और एजेंसियों के दुरुपयोग के साथ, सत्ता के आगे झुकने की यह प्रवृत्ति उनके अल्पकालिक अस्तित्व का एक तरीका बन गई है। हालांकि, इस अपमान में भारत का संविधान और लोकतंत्र हताहत हुए हैं।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि ‘जनता की इच्छा’ सर्वोच्च है, और लोग चाहते हैं कि भारतीय ब्यूरोक्रेसी सरदार पटेल द्वारा परिकल्पित उसी ‘भारत के स्टील फ्रेम’ पर वापस लौट आए, जो समय की कसौटी पर खरा उतरा है। इस आशा के साथ कि भारत का स्वरूप वास्तव में लोकतांत्रिक बना रहे, मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूंं और उम्मीद करता हूं कि संविधान के हमारे शाश्वत आदर्श बेदाग रहेंगे।